13 शार्ट स्टोरी लघुकथा = बेरी का पेड़ ( जेनर = हॉरर )
लघुकथा
जेनर = हॉरर
शीर्षक = बेरी का पेड़
रात के बारह बज चुके थे। राते सर्दी की थी चारो और कोहरा फेला हुआ था । चारो और घना जंगल था जिसमे से वो कोहरा निकल कर सड़क पर आ रहा था ।
उस रात सर्दी बहुत थी । उस जंगल से भेडियो और गीदड़ो के रोने की आवाज़े आ रही थी जंगल से आती वो आवाज़े मानो उस रात को एक भयानक रात बना रही थी ।
आसमान में भी काले काले बादल छाए हुए थे । कहने को वो चौधवी की रात थी जब पूरा चाँद आसमान में किसी बड़े सितारे की तरह रोशन था। शायद यही वजह थी जो उस रात भेडियो की आवाज़े उस वातावरण में चारो और से आ रही थी ।
वो चाँद उन काले काले बादलो के बीच छुपता छुपाता उस गाड़ी के पीछे पीछे चल रहा था जो उस हायवे पर जा रही थी । जिसके अंदर कुछ मंचले लड़के एक लड़की को जबरदस्ती बेहोश करके कही दूर ले जा रहे थे ।
वो लड़की बेहोश थी उसे उन्होंने रास्ते से उठाया था जब वो अपने घर जा रही थी । वो मंचले लड़के सब शराब के नशे में थे ।
तभी अचानक सामने से आ रहे कोहरे में से एक सफ़ेद कपडे पहना एक आदमी हाथ में लालटेन लिए निकला जो देखते देखते उनकी गाड़ी के नजदीक आ पंहुचा ।
और शीशे पर ज़ोर से हाथ मार कर बोला " आगे मत जाना आगे खतरा है आगे आनंदी उस बेरी के पेड़ पर बैठी इंतज़ार कर रही है तुम लोगो का "
तभी उन मंचलो लड़को में से एक लड़का जो थोड़ा कम नशे में था । खिड़की खोल कर उस आदमी का गिरेहबान पकड़ कर बोला " चल बे बूढ़े अपना काम कर हमारा मूड ख़राब मत कर आज बहुत दिनों बाद तो एक अच्छा माल मिला है अब तू हमें डरा रहा है , जा अपना काम कर और तूने किया कहा कौन इंतज़ार कर रही है हमारा , किया नाम बताया आनंदी नाम तो बहुत प्यारा है अब देखते है प्यारी है या नही उसे भी देख लेंगे क्यू भाइयो उसने पास बैठे अपने दोस्तों से कहा "
वो आदमी उन्हें रोकता रहा पर वो रुके नही और उसे धक्का देकर वहा से चले गए ।
वो आदमी ज़ोर ज़ोर से हस्ते हुए बोला " जाओ अपनी मौत के पास अब सवेरे तुम्हारी लाशें ही मिलेगी गांव वालो को क्यूंकि आनंदी तुम्हे मार देगी "
आनंदी बेहद ही प्यारा नाम है , गाड़ी जल्दी भगा मुझसे अब सब्र नही हो रहा तुम लोग इसके साथ रंगरालिया मनाना मैं तो उसके साथ ही अपनी ये रात हसीन बनाऊंगा । पीछे वाली सीट पर बैठे एक लड़के ने कहा।
थोड़ी देर बाद वो एक गांव में पहुचे जहाँ चारो और सन्नाटा पसरा हुआ था । उन्होंने गाड़ी वही गांव में बने एक बेरी के पेड़ के पास रोकी और कहा। उतार इस लड़की को और ले चलो उस पेड़ के पीछे ।
लेकिन तभी वहा खूब सारा धुआँ और तेज़ हवा चलने लगी और भेडियो की आवाज़ दो गुना हो गयी ।
ये किया हो रहा है, ये इतना धुआँ कहा से आ रहा है और भेडियो को किया हुआ क्यू इतना चिल्ला रहे है ज़रूर कोइ शिकार हाथ लगा होगा। एक दोस्त ने कहा
"यार मुझे डर लग रहा है " एक लड़के ने कहा
सब दोस्त उस पर हसने लगे ।
तभी एक आवाज़ ने उन सब का ध्यान उस तरफ खींचा जो की एक पायल की आवाज़ थी ।
छम , छम,,,,,,,,,,, छम ।
वो सब लोग उसका पीछा करने लगे और वहा पहुंच गए जहाँ से वो आवाज़ आ रही थी ।
वहा एक फटे कपडे पहनी लड़की मुँह फेरे बैठी थी ।जिसका खूबसूरत बदन उन फटे कपड़ो से ऐसा चमक रहा था जैसे उस रात पूर्णिमा का चाँद काले बादलो में से आओ मेरे पास मैं तुम लोगो का ही इंतज़ार कर रही थी।
वाह जैसा नाम वैसे दर्शन, तो वो बूढा आदमी हमें इस अप्सरा से बचने का कह रहा था। जो हमें खुद अपने पास बुला रही थी। उसमे से एक लड़के ने कहा।
यार मुझे डर लग रहा है, कही ये हमें कुछ नुकसान ना पंहुचा दे और वैसे भी रात के इस पहर ये लड़की इन फटे पुराने कपड़ो में किया कर रही है। वहा खड़े एक लड़के ने कहा।
उसके दोस्त उससे कुछ कहते तभी वो लड़की कहती " डरो मत आओ मेरे पास हम जैसी खूबसूरत अप्सराये रात को ही निकलती है ताकि अपने हुस्न को दिन की रौशनी में मंचले मर्दो की नज़रो से बचा सके।
ये सुन वो चारो लड़के उसकी और बढ़ने लगे । उसके पेरो से आती हुयी पायल की छम छम उनके कानो में मधुर संगीत की तरह बज रही तो और वो उस पर मोहित होकर उसकी और खींचे जा रहे थे ।
जो लड़की वो उठा कर लाए थे वो बेहोश पड़ी थी ।
तभी पीछे से एक ज़ोरदार चीखने की आवाज़ आयी वो चारो एक दम से पीछे मुडे और फिर डर के जब उस लड़की की तरफ देखा तो वो एक भयानक रूप ले चुकी थी ।
जिसके बाल बिखरे हुए थे और चेहरा खौफनाक हो चुका था आँखे बाहर को आ गयी थी ।
उसे इस तरह देख वो चारो डर कर भागने लगे लेकिन अब उससे बच पाना मुमकिन ही नही ना मुमकिन था ।
आनंदी ने एक एक कर बुरी तरह उन लड़को को मार दिया और उस बेरी के पेड़ पर लटका दिया। और पास बेहोश हुयी लड़की को उठा कर एक घर के आगे रख दिया।
जब सुबह हुयी चार चार लाशें उस बेरी के पेड़ से टंगी देखी तो सब समझ गए कि ये सब आनंदी ने ही किया है । वो लड़की अभी तक बेहोश थी।
थोड़ी देर में पुलिस वहा आ पहुंची उन लाशो में से एक लड़का जो कि एक बड़े नेता का बेटा था । पुलिस ने जब देखा तो गांव वालो से पूछ ताज की तब उन्होंने बताया साहब ये सब आनंदी ने ही किया है ।
लेकिन पुलिस वाला इस बात को मानने को तैयार नही था कि ये सब एक आत्मा ने किया है वो बोला " मुझे बेवक़ूफ़ समझा है इनको मार कर इस पेड़ से टांग दिया और अब इल्जाम आत्मा पर लगा रहे हो पता है इसमें से एक लड़का नेता जी का है , जब उन्हें पता चलेगा कि तुम लोगो ने उनके बेटे को मार कर पेड़ से लटका दिया है । तब वो तुम्हारा जीना हराम कर देंगे "
"साहब हमारा यकीन करो ये सब आनंदी की आत्मा ने ही किया है । जब से उसके साथ वो हादसा हुआ तब से वो ऐसे ही अपना बदला लेती है लोगो से। हम लोग भी सूरज ढलने के बाद घरों से नही निकलते क्यूंकि रात को वो इस गांव का चक्कर लगाती है ।"गांव के सरपंच ने कहा
"मुझे बेवक़ूफ़ बनाते हो, आत्मा का नाम लेकर लोगो को लूट कर मार देते हो ये कोइ पहला हादसा थोड़ी हुआ है इस गांव में, इस बार पूरी तहकीकात करूंगा । ये जो तुम लोग आत्मा को दोषी ठहरा कर लोगो को क़त्ल कर रहे हो " पुलिस ने कहा
उस लड़की को होश आ गया था लेकिन उसे कुछ याद नही की उसके साथ किया हुआ बस उसे इतना याद था की वो घर जाने के लिए ऑफिस से निकली थी फिर उसके बाद उसके साथ किया हुआ, वो यहाँ कैसे पहुंची नही जानती।
पुलिस ने उसे अस्पताल भेज दिया और लाशो को पोस्टमार्टम के लिए । नेता जी को भी पता चल गया था कि उनका बेटा मर गया है उन्होंने गुस्से में आकर सरपंच और कुछ गांव वालो को जैल में बंद करने को कहा ।
सरपंच और उनके साथी कहते रहे साहब हम निर्दोष है ये सब आनंदी की आत्मा ने किया है । गांव का बच्चा बच्चा जानता है की उसकी आत्मा उस दिन के बाद से इसी बेरी के पेड़ पर रहती है । और जो कोइ भी उसके रास्ते में आता है उसे मार देती है और इसी पेड़ पर टांग देती है ।
पुलिस स्पेक्टर को उनकी बात पर यकीन आ भी रहा था और नही भी । क्यूंकि आज कल के ज़माने में भूत प्रेत पर भरोसा करना मूर्खता है । इसलिए ना चाहते हुए भी उसने उन सब को जैल में बंद कर दिया और स्वयं उस गांव में रुककर छान बीन करने लगा कि आखिर उन चारो लड़को को किसने मारा वो भी इतनी बेरहमी से।
दो दिन पुलिस स्पेक्टर ने पूरे गांव का चप्पा चप्पा छान मारा लेकिन कुछ नही मिला। उपर से दबाव आ रहा था कि आखिर नेता जी के बेटे का कातिल अब तक मिला क्यू नही।
तीसरी रात जब वो स्पेक्टर सो रहा था तभी उसे किसी की आहट महसूस हुयी अपनी खिड़की पर और उसकी आँख अचानक खुल गयी।
बाहर बेहद अंधेरा था । चारो और कोहरा ही कोहरा था और भेडियो की आवाज़े आ रही थी । उन्ही आवाज़ में एक आवाज़ आयी " आओ स्पेक्टर आओ तुम्हे कातिल के पास ले चलु "
ये आवाज़ सुन स्पेक्टर ने पास रखी अपनी बन्दूक में गोलिया भरी और ज़ोर से बोला " कौन है तू , सामने आ "
"मैं वही जिसे तू पिछले दो दिन से ढूंढ रहा है , आओ मेरे पास और ले जा उन चारो के कातिल को" बाहर से आवाज़ आयी
"तू वही आनंदी है ना, जो जवान मर्दो को अपने पास बुला कर उन्हें क़त्ल कर देती है और इल्जाम आत्मा पर लगाती है आज तेरा खेल ख़त्म हो जाएगा क्यूंकि अब तेरा सामना असली मर्द से हुआ है जो तेरा असली चेहरा सब के सामने ले आएगा और तुझे बेनकाब करके तेरे अंदर छुपी हवस की पुजारन को बाहर निकालेगा " पुलिस स्पेक्टर ने उस आवाज़ का पीछा करते हुए कहा।
और वो वही उस बेरी के पेड़ के नीचे जा पंहुचा जहाँ आनंदी वही फटे कपडे पहने बैठी थी अपना मुँह फेरे ।
उसके कदमो की आहट सुन आनंदी बोली " आ गए तुम, आओ मेरे पास मैं तुम्हे उस कातिल से मिलवाती हूँ "
कोइ और नही तू ही कातिल है , तूने ही उन चारो लड़को और भी ना जाने कितने मर्दो को अपने हुस्न के जाल में फँसा कर उनका क़त्ल किया है ये कहते हुए पुलिस स्पेक्टर ने उसपर गोली चला दी।
लेकिन जो हुआ वो देखने वाला था । गोली उसके जिस्म से पार निकल गयी । और आनंदी ज़ोर ज़ोर से हसने लगी ।
अब जाकर स्पेक्टर को भी डर लगने लगा वो समझ चुका था कि ये इंसान नही कोइ आत्मा है और गांव वाले सही थे । लेकिन अब किया हो सकता था।
" साहब कितनी बार मरोगे इस मासूम जान को, एक बार तो ये ज़ालिम समाज मुझे मार ही चुका है अब और कितना मरोगे " आनंदी की आत्मा ने कहा
"कौन है तू, आखिर क्यू लोगो को मार रही है । किया बिगाड़ा है तेरा उन मासूम लोगो ने " स्पेक्टर ने कहा
मासूम लोग, मासूम नही दरिंदे कहो साहब जो लोग दूसरों की बहु बेटियों की इज़्ज़त के साथ खिलवाड़ करते है उन्हें तुम मासूम कह रहे हो.। नही साहब वो मासूम नही हैवान है और ऐसे हैवानो को ख़त्म करना ही अब इस आत्मा का मकसद है ।
"उन्हें सजा देने के लिए कानून है, तू क्यू उनको सजा दे रही है तू आत्मा है मोक्ष प्राप्त क्यू नही करती " स्पेक्टर ने डरते हुए कहा
साहब कानून कब किसको सजा देता है , कानून की बात तो तुम करो ही मत तुम आज इसलिए दो दिन से गांव में छान बीन कर रहे हो कातिल की क्यूंकि उसमे से मरने वाला एक नेता का बेटा था । अगर यही कोइ आम आदमी का बेटा या बेटी होती तो तुम स्वयं कानून को जानने वाले उसकी मदद को आगे नही आते ।
जैसा की तुम लोगो ने मेरे साथ किया था ।
तुझे जानना है ना मैं कौन हूँ, और क्यू अभी तक मेरी आत्मा परमात्मा से नही मिली तो सुन " मैं आनंदी जिसके पैदा होने पर डॉक्टर ने उसके माँ बाप को बता दिया की ये लड़की और लड़कियों जैसी नही है । इसका दिमाग़ विकसित नही होगा चाहे ये समय के साथ कितनी ही जवान क्यू ना हो जाए।
एक माँ बाप के लिए अपनी पागल बेटी के बोझ को सहना कितना तकलीफ दे होता है ये तो सिर्फ वही जानते है । भगवान ने भी मेरे साथ एक अजीब ही खेल खेला खूबसूरती अप्सराओ वाली दी और बुद्धि बच्चों वाली।
मेरा बचपन इसी बेरी के पेड़ के नीचे गुज़रा। ये मेरा दूसरा घर था और ये पेड़ मेरा दोस्त। मैं इससे ही अपनी दिल की बात कहती थी । धीरे धीरे में जवान होती गयी गांव के लोग मुझे अपनी बेटी ही समझते थे और कभी मुझ पर कोइ गलत निगाह नही रखी ।
लेकिन एक दिन गांव में शहर के कुछ मंचले लड़को का आगमन हुआ जिन्हे मेरी खूबसूरती ने अपनी और आकर्षित किया। मैं तो दिन भर अपनी गुड़िया गुड्डी के साथ इसी बेरी के पेड़ के पास खेलती रहती थी ।
लेकिन एक दिन शाम को उन लड़को ने मुझे घेर लिया रास्ते में जब में अपने घर जा रही थी । उन दरिंदो ने ये तक नही देखा कि मैं एक पागल लड़की हूँ।
अगले दिन मुझे गांव वालो ने नदी के पास पड़ा देखा वो सब समझ गए थे कि ये सब उन्ही शहरी लड़को ने किया है क्यूंकि गांव का कोइ भी शख्स उसकी तरफ गंदी निगाह से नही देखता था ।
कोर्ट में केस चला । किसी भी स्पेक्टर ने कोइ छान बीन नही कि क्यूंकि हम गरीब लोग थे और उपर से मैं एक पागल लड़की थी , पागल थी लेकिन मेरी भी तो इज़्ज़त थी उन्हें किसने हक़ दिया था मेरे साथ घिनोना काम करने का।
. वही हुआ जिसका डर था । पुलिस, जज , वकील सब ने उन्हें बचाते हुए कहा कि जो कुछ हुआ मेरी मर्ज़ी से हुआ क्यूंकि मैं पागल थी और मुझे पता नही कि मैं किया करने जा रही हूँ।
उस दिन मैं वहा से दौड़ती हुयी अपने इसी दोस्त के पास आयी और इसके आगोश में फाँसी का फंदा डाल कर अपनी जान देदी।
ना जाने क्यू मेरी आत्मा को मोक्ष नही मिला शायद अभी उन जैसे मंचलो से बदला लेना बाकी था इसलिए सुबह को उन चारो कि लाशें भी यही इसी पेड़ से टंगी मिली थी ।
अगर उस दिन तुम जैसे पुलिस स्पेक्टर,वकील ईमानदारी से छान बीन करते तो शायद आज मुझे भी इंसाफ मिल जाता और मैं अपने कातिलों को अपने हाथो से सजा नही देती कानून उन्हें सजा देता, लेकिन ऐसा नही हुआ क्यूंकि कानून तो खुद अंधा है उसे तो सिर्फ सबूत चाहिए होते है फिर चाहे वो असली हो या नखली ।
स्पेक्टर उसकी कहानी सुन रहा था तभी अचानक एक ज़ोर दार चीखने की आवाज़ आयी और आनंदी जो की अब तक सही रूप में थी अब अपने भयानक रूप में आ चुकी थी । और उसने स्पेक्टर के साथ भी वही किया जो उसने बाकी सब के साथ किया क्यूंकि वो वही स्पेक्टर था जिसने बिना छान बीन किए झूठी रिपोर्ट बनायीं थी आनंदी के खिलाफ ।
अगली सुबह गांव वालो को स्पेक्टर की लाश टंगी मिली। सब को यकीन हो चला था की अब वहा ज़रूर कोइ आत्मा ही है क्यूंकि आधे गांव वाले तो जैल में बंद थे ।
उन्हें रिहा कर दिया गया । और वो बेरी का पेड़ अब लोगो के लिए एक किसी भयानक पेड़ जैसा हो गया था जिस पर गुनाह करने वालो के साथ बराबर का हिसाब होता था। और सुबह उनकी लाश टंगी मिलती थी ।
Fareha Sameen
20-May-2022 08:47 PM
Nice
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Reyaan
20-May-2022 02:42 PM
👏👌
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Seema Priyadarshini sahay
19-May-2022 04:52 PM
👌👌बहुत बढ़िया लिखा आपने
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